हेलो दोस्तों !! आज में आपके लिए लाया हूं . . . हमारी शायरी की सबसे अच्छी शायरी जो आपको सोचने और समझने पे मज़बूर कर देगी. Www-shayari-com.blogspot.com.
ये वक्त के फैसले में नहीं नाराज़ जिंदगी से
कल मौत से था शिकवा न आज जिंदगी से
दोनों का हक है हम पर लाचार बस हमीं हैं।
ना मौत से ही भागे ना लाचार जिंदगी से
जिसने जब भी चाहा आकर डरा दिया है
मौत से भी डरते और मोहताज जिंदगी से
आंखों में खवाब हैं और दिल में डर शामिल
कुछ इस तरह जुड़े हैं ये खब्वाब जिंदगी से
जितना भी हमने पाया उतना ही खो दिया है।
ये मौत से है मालूम और एहसास जिंदगी से
कल मौत से था शिकवा न आज जिंदगी से
दोनों का हक है हम पर लाचार बस हमीं हैं।
ना मौत से ही भागे ना लाचार जिंदगी से
जिसने जब भी चाहा आकर डरा दिया है
मौत से भी डरते और मोहताज जिंदगी से
आंखों में खवाब हैं और दिल में डर शामिल
कुछ इस तरह जुड़े हैं ये खब्वाब जिंदगी से
जितना भी हमने पाया उतना ही खो दिया है।
ये मौत से है मालूम और एहसास जिंदगी से
रूठकर मुझसे वो भी परेशान रहा होगा
दिल उसका इतना भी न नादान रहा होगा।
मैं भी उसकी जिंदगी का हिस्सा थी।
फिर भी रूठ गया इंसान रहा होगा
आंसू निकल रहे थे खुश्क मिट्टी से
रास्ते में कोई कब्रिस्तान रहा होगा
बाद दुनिया के बस इतना सा घर
किस तरह उसमें इंसान रहा होगा।
ज़माने ने उसे कितना भुला दिया
कल वो दुनिया की दास्तान रहा होगा
हैरत की बात है अब न कोई साथ है।
जबकि उसका भी खानदान रहा होगा
दिल उसका इतना भी न नादान रहा होगा।
मैं भी उसकी जिंदगी का हिस्सा थी।
फिर भी रूठ गया इंसान रहा होगा
आंसू निकल रहे थे खुश्क मिट्टी से
रास्ते में कोई कब्रिस्तान रहा होगा
बाद दुनिया के बस इतना सा घर
किस तरह उसमें इंसान रहा होगा।
ज़माने ने उसे कितना भुला दिया
कल वो दुनिया की दास्तान रहा होगा
हैरत की बात है अब न कोई साथ है।
जबकि उसका भी खानदान रहा होगा
रस्में निभाना कभी कभी
लौटकर आना कभी कभी
नफरतों की आदत है आपको
मोहब्बत भी निभाना कभी कभी
हालात कहीं भुला न दें उसे
याद भी आना कभी कभी
सभी मौसम मुस्कुराने के नहीं
आंसू भी बहाना कभी कभी
मुद्दत के बाद लौट आओ अगर
घर से न जाना फिर कभी कभी
लौटकर आना कभी कभी
नफरतों की आदत है आपको
मोहब्बत भी निभाना कभी कभी
हालात कहीं भुला न दें उसे
याद भी आना कभी कभी
सभी मौसम मुस्कुराने के नहीं
आंसू भी बहाना कभी कभी
मुद्दत के बाद लौट आओ अगर
घर से न जाना फिर कभी कभी
ये ना समझ कि तुझसे मिलने में फिर आ गया
रास्ता भटक गया और रास्ते में तेरा घर आ गया
कातिल समझ लिया तुम्हें क्यों ज़माने ने
हाथ में थी तलवार तेरे बीच में मेरा सर आ गया
माना कि गिला है कुछ मेरी जिंदगी से
खुदा कब मिला है हर किसी को बंदगी से
समझते सब यही हैं दुआओं में असर आ गया
दूरियां थी नहीं मगर दिलों में आ गईं
मुसाफिर हैं वही खराबियां मंज़िलों में आ गईं
कदमों से नफरतों का कोई पत्थर टकरा गया
हर इक बेरुखी के फैसले कायल हैं।
जिंदगी ही नहीं वफायें भी घायल हैं।
तेरे फैसलों से कितना घबरा गया
रास्ता भटक गया और रास्ते में तेरा घर आ गया
कातिल समझ लिया तुम्हें क्यों ज़माने ने
हाथ में थी तलवार तेरे बीच में मेरा सर आ गया
माना कि गिला है कुछ मेरी जिंदगी से
खुदा कब मिला है हर किसी को बंदगी से
समझते सब यही हैं दुआओं में असर आ गया
दूरियां थी नहीं मगर दिलों में आ गईं
मुसाफिर हैं वही खराबियां मंज़िलों में आ गईं
कदमों से नफरतों का कोई पत्थर टकरा गया
हर इक बेरुखी के फैसले कायल हैं।
जिंदगी ही नहीं वफायें भी घायल हैं।
तेरे फैसलों से कितना घबरा गया
मेरे जज्बात कहते हैं कि तू मेरा मुकद्दर है।
मैं सांसों में हूं तेरे तू मेरे दिल के अंदर है।
खुदा से फरियाद करता हूं जुदा हमको नहीं करना
अगर हो जायेगा ऐसा तो जिंदगी ही बत्तर है।
बड़े बारीक रिश्ते हैं ये मेरी मोहब्बत के
मैं जाली का कुरता हूं और वो मेरा अस्तर है।
नज़रों में वो मेरी कोई तो मकाम रखते हैं।
खुद को दरिया मैं समझूगा मगर वो तो समंदर है।
माना कि नहीं होगा अपना कोई ताजमहल
मोहब्बत जहां लिखा होगा समझना वो मेरा घर है।
यही उम्मीद करते हैं खुदा अपनी भी सुन लेगा
वो ही तो साथ है अपने उसी की ही बस नज़र है।
अगर हम साथ चलते हैं तो आदतें भी मिलती हैं।
मुझे सहने की आदत है इसे समझने का सबर है।
मोहब्बत दिल का रिश्ता है अगर समझो तो इबादत है।
खुद ही में खो गये इतने ज़माने का कहा डर है।
मैं सांसों में हूं तेरे तू मेरे दिल के अंदर है।
खुदा से फरियाद करता हूं जुदा हमको नहीं करना
अगर हो जायेगा ऐसा तो जिंदगी ही बत्तर है।
बड़े बारीक रिश्ते हैं ये मेरी मोहब्बत के
मैं जाली का कुरता हूं और वो मेरा अस्तर है।
नज़रों में वो मेरी कोई तो मकाम रखते हैं।
खुद को दरिया मैं समझूगा मगर वो तो समंदर है।
माना कि नहीं होगा अपना कोई ताजमहल
मोहब्बत जहां लिखा होगा समझना वो मेरा घर है।
यही उम्मीद करते हैं खुदा अपनी भी सुन लेगा
वो ही तो साथ है अपने उसी की ही बस नज़र है।
अगर हम साथ चलते हैं तो आदतें भी मिलती हैं।
मुझे सहने की आदत है इसे समझने का सबर है।
मोहब्बत दिल का रिश्ता है अगर समझो तो इबादत है।
खुद ही में खो गये इतने ज़माने का कहा डर है।
WWW-Shayari-com.blogspot.com
हर नज़र को तुम चाहते हो,
चाहत क्या होती है समझाओं हमे॥
हम न तो बेवफा हैं सागर,
वफा क्या होती है समझाओं हमे !!
दिलजला कहते हैं लोग मुझे
जख् मुहब्बत में मैंने खाये हैं।
जो हमे बेवफा कहते हैं दोस्त,
उनके लिये खून के आंसू बहाये हैं !!
वफ़ा का एक नाम लेकर दोस्त,
वो बेवफाई का खंजर आजमाते हैं।
जख्मी के दिल में है कि पास में मेरे,
वो फिर भी ठेस पहुंचाते है !!
इश्क में हम मर चुके,
बस इंतजार हमें कफन का है ।
खुश है वो कातिल हम नशीं,
उन्हें इंतजार कफ़न के दफन का है !!
मेरे कातिल हमनशीं ने मुझे ,
हर बार बेकरार होते देखा है।
कजां में ही बनी तकदीर है,
उसने मुझे इंतजार करते देखा है !!
रुख से ही पर्दा ही हटा तो,
हुस्न को बेनकाब हो गया !
उसने मिली नज़र तो,
दिल बेकरार हो गया !!
माथे पर लट लहराती कि है,
चूड़ी की खनक बुलाती है !
रुखसारों पे है हया का पद,
चाहत फिर भी उसे सताती है !!
लोग हमारी मौत की दुआ मांगते हैं ,
हम बेशर्मी से जीये जाते हैं !!
उनकी तमन्ना है जनाजा देखने की ,
हम खड़े होकर मुस्कुराते जाते हैं !!
No comments:
Post a Comment